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*आत्म मंथन*

दिल की बात
दिल की बात
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जितने की ख्वाइश है पर हार से भी इत्तेफाक नहीं
व्यक्त नहीं करता हालत अपनी ,
की कही छूट न जाये साथ अपनों की
संघर्ष का क्या परिणाम होगा?
अन्त जो भी हो वो हमे स्वीकार होगा
क्युकि वो मेरा ही चुना हुआ मुकाम होगा /

जो ठहर गए आज यहाँ कदम
मैं इतिहास में बदनाम हूँगा
स्वीकार कर ली जो हालात अभी
तो खुद का ही गुनहगार हूँगा
चुना है पथ मैं ने तो आगे बढ़ना
ही खुद पर इन्साफ होगा
अन्त जो भी हो वो हमे स्वीकार होगा
क्युकि वो मेरा ही चुना हुआ मुकाम होगा /

जितने की ख्वाइश है पर हार से भी इत्तेफाक नहीं

विवेक तिवारी

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